आई नोट , भाग 46
अध्याय 8
शुरुआत में
भाग-5
★★★
“हर काम का अलग मजा होता है, मगर राइटिंग, साला इसका तो कुछ ज्यादा ही मजा था। मैंने लिखने के प्रोफेशन को एक्सप्लोर किया तो पता चला अपनी कल्पनाओं को बाहर लाने का यह सबसे बेहतरीन तरीका होता है।”
लड़का किसी रेस्टोरेंट में एक तरफ खाना बना रहा था और एक तरफ कोई किताब पढ़ रहा था। किताब का नाम था डिटेक्टिव एक्स और वंडर ऑफ सेवन क्राइम। ( काल्पनिक नाम)
“हहह.... डिटेक्टिव ने सात चैप्टर में 7 खुनीयों को पकड़ा, वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि सातों ही खुनी कत्ल करने के बाद पीछे सुराग छोड़ गए थे। क्या किसी भी खुनी के दिमाग में यह नहीं आया वह लाश को गायब कर दे। ना रहेगी लाश ना ही आएगा कोई डिटेक्टिव और ना ही बनेगी कहानी।”
उसने किताब रखी और अपनी डिश की तरफ ध्यान देने लगा।
“फिर यह भी है, इन सातों ही खुनियों के पास कत्ल करने की जो वजह थी उसके पीछे उनके पैसों का लालच, आपसी मनमुटाव और ईष्या थी। जबकि मेरे मामले में ऐसा कुछ भी नहीं था। इसीलिए आज तक कोई भी डिटेक्टिव मुझे नहीं पकड़ पाया।”
रात को वह घर में था और दूसरी किताबें पढ़ रहा था। ज्यादातर किताबें क्राइम से रिलेटेड थी।
“किताबों से मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। मैंने सीखा किस तरह से एक क्राइम करने के बाद उसे छुपाया जाता है। हालांकि मै इसमें पहले से ही परफेक्ट था मगर मेरे तरिके वाहियात थें। मैंने किताबों में देखा, ज्यादातर क्राइम में या तो किसी को गला घोटकर मारा जाता था, या सीधे गोली से। मगर मैंने ऐसा बहुत कम किया था। मैंने अपने पहले कत्ल में गिटार का इस्तेमाल किया था, जबकि बीच के एक कत्ल मैं मैंने मेगी खाने वाले चम्मच का इस्तेमाल किया था। एक और कत्ल जो मुझे याद है, किसी को वॉशिंग मशीन में वाशिंग पाउडर मिले पानी में डुबोकर मारना, सब के सब तरीके वाहियात थे। मुझे खुद में सुधार करने की जरूरत थी। या फिर कुछ ऐसा करने की जरूरत थी जिसमें मैं कत्ल करने के और भी तरीकों को लोगों के सामने लेकर आ सकुं। यह थोड़ा ज्यादा बेहतर था!”
लड़का उठा और एक लैपटॉप लेकर बैठ गया। इसके बाद वह लैपटॉप पर अपनी कहानी लिखने लगा।
“मुझे लिखना नहीं आता था, मैं कहानी लिखने के नाम पर उसकी ऐसी तैसी ही करता था। तमाम कोशिशों के बावजूद मैं वैसा कभी नहीं लिख पाया जैसा दूसरे लेखकों ने लिखा था। उनकी कहानियां श्रेणीबद्ध होती थी, जबकि मेरी लिखी गई कहानियां मुझे ही पसंद नहीं आती थी। इस चक्कर में मैंने अपने काफी सारे अध्याय युं ही डिलीट कर दिए। कई बार तो मैं 1 दिन में 16000 शब्द लिख कर भी उसे डिलीट कर देता था।”
वो रेस्टोरेंट में डिश बना रहा था। डिश भी बना रहा था और साथ में किताब भी पढ़ रहा था।
“मैं अपनी तलाश से दूर होने लगा। अपनी तलाश से दूर होने लगा और अपने सभी बुरे कामों को छोड़ने लगा। किताब के अंत तक हर क्रिमिनल को इस बात का एहसास हो जाता था उसने गलत किया है, ऐसे में लाजमी था मुझे भी एक न एक दिन इस बात का एहसास होगा। मैं नहीं चाहता था जिस दिन मुझे इस बात का एहसास हो तब मैं भी खुद को शर्मिंदगी से भरा महसूस करूं।”
रेस्टोरेंट में डिश बनाने के बाद वह कोई दुसरी किताब उठाने लगा था मगर तभी कोई फैमिली आई और उसने डिश की डिमांड की। उनके साथ एक लड़की भी थी। वो लड़की और कोई नहीं बल्कि मानवी थी। लड़के ने पहले फैमिली की तरफ देखा, इसके बाद मानवी की तरफ।
“मैं अपनी तलाश को भुलाकर लेखक की दुनिया के मजे लेने लगा था मगर तभी मुझे वो मिली, मानवी, यह वही लड़की थी ( मैंने गलती से लड़की को हम उम्र दिखा दिया था, वह गलती पीछे एडिट कर सही कर दी गई है। कहानी की शुरुआत में जहां लड़की की उम्र कम थी उसे भी चार-पांच साल बढ़ा दिया गया है। इस त्रुटि के लिए खेद है।) जिसकी मुझे तलाश थी। मैं इसे भूल चुका था। मगर सामने आने के बाद उसने मेरे दिमाग में उसी भावना को जगाया जो उसने पहले जगाई थी। मैंने अपने बुरे काम छोड़ दिए थे, मगर मानवी के आने के बाद पता नहीं क्यों मेरा वापिस उन्हीं रास्तों पर जाने का मन करने लगा था”
उसने डिश उठाई और उसे फैमिली को दे दिया। फैमिली डिश उठा कर चली गई।
“ मानवी ने एक ही पल में मेरी सोच को पहले जैसा कर दिया था। मगर इसके बावजूद मैं जानता था मुझे पहले जैसा नहीं बनना। मुझे अब अपनी जिंदगी को बदलना था वह भी पूरी तरह से। मैं बहुत आगे निकल चुका था और यह वक्त पीछे मुड़कर देखने का नहीं था।”
उसने पीछा करने की बजाय वहीं पर खाना बनाना जारी रखा। इसके बाद कुछ दिनों तक मानवी के मां बाप का डिश लेने के लिए आते रहे।
“मानवी की फैमिली इस दिन के बाद रोजाना मेरे पास आने लगी। मैं उन्हें अच्छे से जानने लगा था मगर मानवी, उसके साथ मेरी दोस्ती की शुरुआत नहीं हुई थी। और मुझे करनी भी नहीं थी। मानवी का जिंदगी में आने का मतलब था, मेरा दोबारा से बुरा बनना।”
किसी दिन वह किताब पढ़ रहा था तभी मानवी आई और उससे ऑर्डर मांगा। मगर इस बार मानवी अकेली आई थी।
“मगर एक इंसान कब तक खुद पर कंट्रोल कर सकता है। इंसान आखिर इंसान ही तो होता है भगवान थोड़ी ना। कोई चीज बार बार उसके सामने लाकर रख दी जाएगी तो वह तो अपना कंट्रोल खोऐगा ही।”
मानवी चली गई और लड़का रेस्टोरेंट से बाहर आकर उसका पीछा करने लगा। उसने उसे घर तक स्टाॅक किया। और ऐसा वह कई दिनों तक करता रहा।
“मैं इतना तो जानता था अगर घी को डब्बे से निकालना है तो सीधी उंगली कभी भी काम नहीं आती, उंगली को टेडा करना पड़ता है, मगर मैं उसे ज्यादा टेडा नहीं करना चाहता था। मुझे शांति और धैर्य से काम लेना था।”
अगले दिन मानवी फिर आई तो शख्स ने उसे वाॅक के लिए प्रपोज कर दिया। मानवी मान गई और दोनों ही एक पार्क में चले गए।
“मैं मानवी को अपनी सच्चाई नहीं बता सकता था। यह तो बिल्कुल भी नहीं मैं उसके घर के सामने रहता था। इस तरह की बातें बताने वाली नहीं होती। कौन अपने प्रेमी से सुनना चाहेगा वह ढेर सारे कत्ल कर दुनिया में सरेआम घूम रहा है।”
ऐसा उनके साथ कई दिनों तक हुआ।
“मानवी अच्छी लड़की थी। इतनी अच्छी लड़की की अब उसके साथ वक्त बिताना किताबों के साथ वक्त बिताने से ज्यादा अच्छा लगने लगा था। यहां तक कि अब कहानी लिखने में भी वह मजा नहीं आता था जो मानवी के साथ वक्त बिताने में आता था। मानवी मेरी जिंदगी बनती जा रही। लेकिन मुसीबतें, वह कभी भी इंसान का पीछा नहीं छोड़ती।”
अगले दिन मानवी के मां-बाप आए और लड़के से कुछ बात की। उन्होंने जो भी बात की उसे सुनने के बाद लड़के के चेहरे पर निराशा आ गई।
“मानवी के मां-बाप का कहना था मैं उनकी बेटी के लिए एक अच्छी चॉइस नहीं हूं। उनकी बेटी मुझे पसंद करती है, और वह उसकी पसंद के आगे कुछ नहीं कर सकते, इसलिए उन्होंने मुझसे कहा मैं खुद सामने से मानवी को ना कर दुं। अगर मैं ना नहीं करता हूं तो मजबूरन उन्हें सख्त फैसले लेने पड़ेगे।”
शख्स ने उसी समय डिश तवे पर चढ़ाई और उसमें ढेर सारे मशाले गिरा दिए।
“सख्त फैसले!! अस्थमा के मरीज को कभी भी सख्त फैसलों के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। किसी को भी यह बात सुनकर गुस्सा आ सकता है और वह आपके खाने में तेज मसाले डाल कर ऊपर जाने की टिकट बुक कर सकता है।”
उसने खाने को लिफाफे में पैक किया और मानवी के मां-बाप के पीछे चल पड़ा। अगले ही पल शख्स मानवी के मां बाप के साथ उसके घर पर था। वह उनके साथ प्यार से बातें कर रहा था। बातें करते करते उसने डाइनिंग टेबल पर प्लेट लगाई और उसमें डिस फरोस दी।
“अस्थमा के मरीजों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए उन्हें कभी भी जिंदगी में रेस्टोरेंट से तेज मसाले वाले खाना नहीं लेकर आना चाहिए। तेज मसाले वाला खाना खाने के बाद अगर किसी की मौत हो जाती है तो कोई भी पुलिस आकर रेस्टोरेंट पर केस नहीं कर सकती। ना ही रेस्टोरेंट के किसी वर्कर को या उसके मालिक को मौत की जिम्मेदार बना सकती है।”
मानवी के मां बाप ने खाना खाया जिसके ठीक बाद तेज मसाले अपना कमाल दिखाने लगे। उनकी सांसें उखड़ने लगी। शख्स ने डाइनिंग टेबल पर मौजूद पानी के जग को उठा लिया और उठाकर उसे दूर कर दिया।
मानवी के पिता ने किचन की तरफ जाने की कोशिश की मगर उखडती सांसों में वो बस किचन के दरवाजे तक पहुंच सका, जहां शख्स ने किचन का दरवाजा बंद कर दिया।
“मैं जानता था मानवी फैशन डिजाइनर के अंदर अपनी जॉब करती है। इस वजह से वह दिन में घर पर नहीं रहती और शाम को ही घर आती है। आसपास के लोगों को अपने कामों से मतलब होता है और कोई भी किसी दूसरे के काम में टांग नहीं अड़ाता था। इन चीजों ने मुझे कानून की उस दीवार से दूर रखा जो किसी को भी एक छोटे से सबूत के आधार पर किसी को कैद कर लेती थी। किताबें, किताबों को पढ़ने के बाद सबूत वाले मामले में तो मैं काफी परफेक्ट हो गया था।”
जल्द ही मानवी के माता-पिता ने वही अस्थमा अटैक की वजह से अपना दम तोड़ दिया। उन के दम तोड़ने के बाद शख्स ने अपने रुमाल निकाला और अपने हाथ में पकड़े जग के निशान अच्छे से मिटा दिए। इसके बाद उसने किचने के दरवाजे से निशान मिटाए। फिर किचन का दरवाजा खोला और जग वहां जाकर रख दिया।
“मैंने घर में बस लिफाफा ही छोड़ा था जिस पर मेरी उंगलियों के निशान थे, मगर क्योंकि मानवी के माता-पिता रेस्टोरेंट आकर मुझसे खाना लेकर गए थे तो मेरी उंगलियों के निशान लिफाफे पर होना लाजमी थे।”
10 दिनों के बाद शख्स और मानवी ने शादी कर ली।
“मानवी मेरी जिंदगी का आधार बन गई थी। एक ऐसा आधार जिसके बाद मुझे अपनी जिंदगी में और कुछ भी नहीं चाहिए था। इसीलिए मैं उसे कभी भी खुद से दूर नहीं होने देना चाहता था। मानवी मेरा सब कुछ थी। मानवी के दूर होने का मतलब था मेरे जिंदगी के आधार का खत्म हो जाना, और मेरे जिंदगी की आधार का खत्म होने का मतलब था, मेरे दिमाग का फिर से किसी ऐसी चीज पर लगना जहां बस कुछ ना कुछ बुरा ही होता था।। और अब मुझे बुरा नहीं बनना था।”
मानवी से शादी करने के बाद उसने वह शहर भी छोड़ दिया। शहर छोड़ने से पहले उसने उस शहर में बनाए गए अपने बेसमेट को भी पहले की तरह बंद किया जैसे बाकी शहरों में अपने बेसमेंट को बंद किया था।
कुछ दिनों बाद मानवी और शख्स उस बिल्डिंग के सामने खड़े थे जहां वर्तमान में उनका घर था।
“अब वक्त नई शुरुआत का था। ऐसी नई शुरुआत का जहां मैं सीधा साधा लेखक था, और मानवी मेरी पत्नी थी। मैं अपने बुरे कामों को छोड़ चुका था। थोड़े बहुत बुरे काम करता था मगर सिर्फ मानवी को खुद से अलग ना होने देने के लिए। ऐसा करना जरूरी जो था।”
उसने उसी शहर में अपने लिए बेसमेंट खरीदा जो अबकी बार वेयरहाउस के रूप में था।
“पिछले बुरे काम मुझे कभी कभी तंग करते थे। डरावने सपनों की तरह मुझे रात में जगा देते थे, फिर सारी सारी रात नींद नहीं आती थी। कई बार तो मेरी बहन भी मेरे सपनों में हंटर लेकर आ गई थी। इसलिए इन सब से भी मुक्ति पानी थी।”
उसने अपने वेयरहाउस में एक खुफिया कमरा बनवाया। खुफिया कमरा बनवाने के बाद वो एक प्रिंटर और अपने लैपटॉप के साथ वहां कमरे में बैठकर उन सभी की तस्वीरें और एड्रेस निकालने लगा जिनका उसने खुन किया था। सभी को निकालने के बाद वह उन्हें दीवार पर चिपकाता गया।
“अब वक्त था कुछ अच्छे काम करने का। कुछ ऐसे अच्छे कामों को करने का जो मेरे बुरे कामों को तो नहीं भुला सकते थे, मगर उन्हें लेकर मुझे और मेरी आत्मा को शांति जरूर दे सकते थे।”
तस्वीरों को निकालने के बाद उसने सभी की लिस्ट तैयार की और फिर उस लिस्ट के साथ अपने पुराने शहर चला गया। वहां जाकर उसने बेसमेंट के शटर को ऊपर किया और दीवार के पीछे बने खुफिया कमरे में गया। उस कमरे में जाने के बाद उसने वहां मौजूद नोटों के बंडल को डाक पोस्ट वाले ढेर सारे लिफाफे में भरना शुरू कर दिया। उन्हें भरने के बाद वह हर एक डाक पोस्ट पर उस एड्रेस को लिखता गया जहां उसे नोट भेजने थे।
“मेरे पास पैसों की कमी नहीं थी। मेरे पास इतना पैसा था कि मैं उन्हें वापस देने के बाद भी पैसों की तंगी से नहीं मरने वाला था। मुझे शोहरत से प्यार नहीं था। मुझे मेरी जिंदगी से प्यार था। मेरी आत्मा की शांति से प्यार था। मैं बस खुद को खुश रखने में ही खुश था।”
इसके बाद वह शहर में अलग-अलग पोस्ट ऑफिस गया और वहां अलग अलग डाक पोस्ट को जमा करवाया। इतना कुछ करने के बाद वह वापस अपने शहर की तरफ चल पड़ा।
“अब मेरी जिंदगी में किसी भी तरह की कमी नहीं थी। किसी भी तरह का दुख नहीं था। मेरा पास्ट मुझे तंग नहीं करता था। अब मैं एक टेंशन फ्री जिंदगी जीता था। एक लेखक के तौर पर अपनी मानवी के साथ एक टेंशन फ्री जिंदगी। दुनिया में लोग बुरे होते हैं, मगर एक बात कभी नहीं भूलनी चाहिए, लोगों को बुरा उसके हालात बनाते हैं, ना की वो खुद बुरा बुनता है। मैं बुरा हूं और मुझे इसका पछतावा भी है, लेकिन क्या करें, अब इसे बदला नहीं जा सकता। आप अपनी जिंदगी को एक कहानी जरूर बना सकते हैं, मगर जिस तरह से कहानी में पीछे जाकर उस में फेरबदल किया जा सकता है, उस तरह जिंदगी में कभी भी पीछे जाकर उसमें फेरबदल नहीं किया जा सकता। आपकी जिंदगी जैसी भी होती है आपको उसे स्वीकार करना पड़ता।”
आखरी दृश्यों में कार सड़क पर तेज स्पीड से दौड़ती हुई दिखीं।
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